अक्षय तृतीया पर भक्तों ने गंगा स्नान कर श्री भरत भगवान की करी परिक्रमा
(उत्तराखंड)
ऋषिकेश, (कुमार रजनीश)/
अक्षय तृतीया पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने श्री भरत भगवान की करी 108 परिक्रमा।
भगवान श्री भरत जी की मूर्ति का रहस्य:
पंडित सुरेंद्र दत्त भट्ट ने बताया कि बौद्ध काल में जब मंदिरों को तोड़ा जा रहा था तब तीर्थनगरी ऋषिकेश में स्थित भगवान भरत की मूर्ति को पुजारियों द्वारा मायाकुंड क्षेत्र में छुपा दिया था। जब आदि गुरू शंकराचार्य हिमालय दर्शन की यात्रा पर आए थे तब उन्होने ऋषिकेश पहुंच कर मायाकुंड क्षेत्र से मूर्ति को निकाल गंगा स्नान कराकर भगवान भरत जी की शालिग्राम मूर्ति को भरत मंदिर में स्थापित किया था। उन्होंने यह भी बताया कि भगवान भरत जी की मूर्ति एक ही शालिग्राम से बनी हुई है। जिसके बाद वह हिमालय दर्शन के लिए निकले थे।
मंदिर की 108 परिक्रमा का रहस्य:
प्राचीन काल में भक्त हिमालय की गोद में स्थित चारों धामों पर पहुंचने के लिए सड़कें न होने के कारण कठिन पैदल ही यात्रा तय करते थे। वहीं जो भक्त चारों धामों की यात्रा पर नहीं जा पाते थे वह ऋषिकेश में स्थित भगवान श्री भरत मंदिर की 108 परिक्रमा कर भगवान के दर्शन का लाभ उठाते थे।
कई राज्यों से आए भक्त और चढ़ाया शत्तू का प्रसाद:
माना जाता है कि जो श्रद्धालु अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान कर भगवान श्री भरत मंदिर की 108 परिक्रमा करते हैं उन्हें भगवान श्री बद्रीविशाल के दर्शनों के समान ही पुण्य प्राप्त होता है। प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में ही भगवान भरत जी की पूजा अर्चना के साथ मंदिर को भक्तो के लिए खोल दिया गया। भक्तों ने भगवान को सत्तू का प्रसाद चढ़ाया। इस अवसर पर उत्तराखण्ड सहित आस पास के राज्यो से भी श्रद्धालुओ ने ऋषिकेश स्थित गंगा में स्नान कर प्राचीन भरत मंदिर पहुंचकर मंदिर की 108 परिक्रमा कर भगवान का आशीर्वाद लिया।