यमकेश्वर के आपदा ग्रस्त क्षेत्र बैरागढ़ में जारी होटल, रिजॉर्ट और कैंपों का निर्माण कार्य, प्रशासन मौन
(पौड़ी गढ़वाल)/ यमकेश्वर, (कुमार रजनीश)/
आपदा के मुहाने पर बसा गांव एक बार फिर किसी बड़ी त्रासदी को निमंत्रण देने को तैयार दिख रहा है। जहां पहले खेत खलियान होते थे आज वहां बड़े बड़े रिजार्ट्स, कैंप और होटलों का निर्माण कर लिया गया है जो आज भी नदी और गदेरे के मुहाने पर तैयार कर लिए गए हैं और प्रशासन आंखे बंद किए हुए हैं।
उत्तराखंड का यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र बीते कुछ समय से तेजी से विकास की राह पर चलता दिख रहा है। नियमों को ताक पर रखकर सिंदुडी ग्रामसभा के बैरागढ़ गांव में कही पहाड़ियों को काट कर रिजार्ट और कॉटेज बनाए जा रहे हैं तो कहीं नदी और गदेरों के किनारे कैंपों को लगाया जा रहा है। जबकि उक्त क्षेत्र बीते 2013 की प्राकृतिक आपदा की भेंट चढ़ चुका है जहां बैरागढ़ गांव के ठीक ऊपर स्थित पहाड़ी पर बादल फटने से गांव का अधिकांशत हिस्सा जमींदोज हो गया था और ग्रामीणों ने भाग कर आसपास की पहाड़ियों पर चढ़ कर अपनी जानें बचाई थी। वहीं अगले दिन सुबह होने पर ग्रामीणों को हैली सेवा की सहायता से रेस्क्यु किया गया था। जबकि मोहनचट्टी स्थित हेवल के दोनों किनारों को भी भारी नुकसान पहुंचा था।
समय के बीतते ही ग्रामीण अपनी पीड़ा को भूला भी नहीं पाए थे कि पूंजीपतियों ने मौके की नजाकत को भुनाते हुए पीड़ित ग्रामीणों से गांव की जमीनों को खरीद डाला और वहां रिजॉर्ट, होटल और कैंपों का निर्माण करना शुरू कर दिया। आज आपदाग्रस्त बैरागढ़ गांव और हेवल नदी के किनारे बसे मोहनचट्टी क्षेत्र में अंधाधुंध निर्माण कर लिए गए हैं तथा कुछ का निर्माण कार्य जोरों पर है। जहां रिजॉर्ट, होटल और कैंपों के मालिक तो ठेके पर देकर घर बैठ जायेंगे और रिजॉर्ट, होटल और कैंपों में ठहरे पर्यटक असमय आने वाली त्रासदी का शिकार जरूर हो सकते हैं। जिस पर सरकार, शासन तथा प्रशासन आपदा ग्रस्त गांव और क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरतता दिख रहा है।