प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट लगभग 75 प्रतिशत हुआ पूरा, 2026 में यात्री कर सकेंगे ऋषिकेश/कर्णप्रयाग रेल का सफर
(उत्तराखंड)
ऋषिकेश, (कुमार रजनीश)/
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ऋषिकेश/कर्णप्रयाग रेल परियोजना का काम लगभग 75 प्रतिशत पूरा हो चुका है वहीं रेलवे लाइन, सुरंगों की खुदाई, रेलवे स्टेशनों का विस्तारीकरण कार्य दिसंबर 2025 तक पूरा कर लिया जायेगा।
रेल विकास निगम लिमिटेड के परियोजना महाप्रबंधक अजीत यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि रेल विकास परियोजना अपने आदर्श वाक्य, गुणवत्ता, गति एवं पारदर्शिता के अनुरूप परियोजना का निर्माण राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत सुनिश्चित करते हुए सुरंग व संरचनाओं का निर्माण कार्यों को पूरा कर रहा है। उन्होंने बताया कि परियोजना के अंतर्गत 104 किलोमीटर की सुरंगे हैं जिसमें 75 किलोमीटर का कार्य पूरा हो चुका है तथा अन्य सुरंग का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है। मानकों का पूर्ण रूप से पालन करते हुए सुरंग के प्रत्येक निर्माणाधीन भाग के खनन के दौरान किए जा रहे विस्फोटकों के परिणाम की मात्रा भारत सरकार के खान सुरक्षा महानिदेशालय द्वारा निर्धारित मानकों के तहत किया जा रहा है जिससे संरचनाओं एवं स्थलीय पर्यावरण को किसी भी प्रकार का नुकसान ना पहुंचे। राज्य सरकार से समन्वय में बनाते हुए संबंधित जिलाधिकारियों द्वारा शिकायतों का निस्तारण समय-समय पर किया जा रहा है।
वर्ष 2023/24 में ऋषिकेश की परियोजना क्रियान्वयन इकाई द्वारा 60 किलोमीटर लंबाई में सुरंगों का निर्माण किया गया है तथा 20 किलोमीटर लंबाई में अंतिम कंक्रीट अस्तर का कार्य पूरा किया जा चुका है। श्रीनगर, गोचर तथा कालेश्वर/सिवाई में रेलवे स्टेशन को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने के लिए मोटर पुलों का निर्माण कार्य भी पूरा कर लिया गया है। परियोजना द्वारा 23-24 में कॉरर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के अंतर्गत जो कार्य किए गए हैं उसमें टिहरी जिले में मधुमक्खी पालन कार्य के लिए 232 लाख, जिला रुद्रप्रयाग में निराश्रित गायों व बैलो के लिए 20 लाख, जीआईसी श्रीनगर के लिए 6.38 लाख, श्री केदारनाथ धाम के लिए 1066 लाख, ड्रग एव्यूज के लिए 20 लाख, स्कूलों में सुरक्षा की दृष्टि से मरमत कार्य के लिए 12. 54 लाख, रुद्रप्रयाग में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए 8 लाख दिए गए हैं।
इस अवसर पर उपमहा प्रबंधक ओम प्रकाश मालगुडी, अपर महाप्रबंधक हेमंत कुमार, पामीर अरोड़ा, भूपेंद्र सिंह, अजय कुमार, भूविज्ञान शास्त्री विजय डंगवाल व संयुक्त प्रबंधक सुब्रत भट्ट आदि मौजूद थे।